yajurveda/9/20
ऋषिः - वसिष्ठ ऋषिः
देवता - प्रजापतिर्देवता
छन्दः - भूरिक कृति,
स्वरः - निषादः
आ॒पये॑। स्वाहा॑। स्वा॒पय॒ इति॑ सुऽआ॒पये॑। स्वाहा॑। अ॒पि॒जायेत्य॑पि॒ऽजाय॑। स्वाहा॑। क्रत॑वे। स्वाहा॑। वस॑वे। स्वाहा॑। अ॒ह॒र्पत॑ये। अ॒हः॒ऽप॑तय॒ इत्य॑हः॒ऽपत॑ये। स्वाहा॑। अह्ने॑। मु॒ग्धाय॑। स्वाहा॑। मु॒ग्धाय॑। वै॒न॒ꣳशि॒नाय॑। स्वाहा॑। वि॒न॒ꣳशिन॒ इति॑ विन॒ꣳशिने॑। आ॒न्त्या॒य॒नायेत्या॑न्त्यऽआय॒नाय। स्वाहा॑। आन्त्या॑य। भौ॒व॒नाय॑। स्वाहा॑। भुव॑नस्य। पत॑ये। स्वाहा॑। अधि॑पतय॒ इत्यधि॑ऽपतये। स्वाहा॑ ॥२०॥
आपये। स्वाहा। स्वापय इति सुऽआपये। स्वाहा। अपिजायेत्यपिऽजाय। स्वाहा। क्रतवे। स्वाहा। वसवे। स्वाहा। अहर्पतये। अहःऽपतय इत्यहःऽपतये। स्वाहा। अह्ने। मुग्धाय। स्वाहा। मुग्धाय। वैनꣳशिनाय। स्वाहा। विनꣳशिन इति विनꣳशिने। आन्त्यायनायेत्यान्त्यऽआयनाय। स्वाहा। आन्त्याय। भौवनाय। स्वाहा। भुवनस्य। पतये। स्वाहा। अधिपतय इत्यधिऽपतये। स्वाहा ॥२०॥