yajurveda/8/51

इ॒ह रति॑रि॒ह र॑मध्वमि॒ह धृति॑रि॒ह स्वधृ॑तिः॒ स्वाहा॑। उ॒प॒सृ॒जन् ध॒रुणं॑ मा॒त्रे ध॒रुणो॑ मा॒तरं॒ धय॑न्। रा॒यस्पोष॑म॒स्मासु॑ दीधर॒त् स्वाहा॑॥५१॥

इ॒ह। रतिः॑। इ॒ह। र॒म॒ध्व॒म्। इ॒ह। धृतिः॑। इ॒ह। स्वधृ॑ति॒रिति॒ स्वऽधृ॑तिः। स्वाहा॑। उ॒प॒सृ॒जन्नित्यु॑पऽसृ॒जन्। ध॒रुण॑म्। मा॒त्रे। ध॒रुणः॑। मा॒तर॑म्। धय॑न्। रा॒यः। पोष॑म्। अ॒स्मासु॑। दी॒ध॒र॒त्। स्वाहा॑ ॥५१॥

ऋषिः - देवा ऋषयः

देवता - प्रजापतयो गृहस्था देवताः

छन्दः - भूरिक् आर्षी जगती,

स्वरः - निषादः

स्वर सहित मन्त्र

इ॒ह रति॑रि॒ह र॑मध्वमि॒ह धृति॑रि॒ह स्वधृ॑तिः॒ स्वाहा॑। उ॒प॒सृ॒जन् ध॒रुणं॑ मा॒त्रे ध॒रुणो॑ मा॒तरं॒ धय॑न्। रा॒यस्पोष॑म॒स्मासु॑ दीधर॒त् स्वाहा॑॥५१॥

स्वर सहित पद पाठ

इ॒ह। रतिः॑। इ॒ह। र॒म॒ध्व॒म्। इ॒ह। धृतिः॑। इ॒ह। स्वधृ॑ति॒रिति॒ स्वऽधृ॑तिः। स्वाहा॑। उ॒प॒सृ॒जन्नित्यु॑पऽसृ॒जन्। ध॒रुण॑म्। मा॒त्रे। ध॒रुणः॑। मा॒तर॑म्। धय॑न्। रा॒यः। पोष॑म्। अ॒स्मासु॑। दी॒ध॒र॒त्। स्वाहा॑ ॥५१॥


स्वर रहित मन्त्र

इह रतिरिह रमध्वमिह धृतिरिह स्वधृतिः स्वाहा। उपसृजन् धरुणं मात्रे धरुणो मातरं धयन्। रायस्पोषमस्मासु दीधरत् स्वाहा॥५१॥


स्वर रहित पद पाठ

इह। रतिः। इह। रमध्वम्। इह। धृतिः। इह। स्वधृतिरिति स्वऽधृतिः। स्वाहा। उपसृजन्नित्युपऽसृजन्। धरुणम्। मात्रे। धरुणः। मातरम्। धयन्। रायः। पोषम्। अस्मासु। दीधरत्। स्वाहा ॥५१॥