yajurveda/8/48
ऋषिः - देवा ऋषयः
देवता - प्रजापतयो देवताः
छन्दः - याजुषी पङ्क्ति,याजुषी जगती,साम्नी बृहती,
स्वरः - धैवतः, मध्यमः
व्रेशी॑नाम्। त्वा। पत्म॑न्। आ। धू॒नो॒मि॒। कुकू॒नना॑नाम्। त्वा॒। पत्म॑न्। आ। धू॒नो॒मि॒। भ॒न्दना॑नाम्। त्वा॒। पत्म॑न्। आ। धू॒नो॒मि॒। म॒दिन्त॑माना॒मिति॑ म॒दिन्ऽत॑मानाम्। त्वा॒। पत्म॑न्। आ। धू॒नो॒मि॒। म॒धुन्त॑माना॒मिति॑ म॒धुन्ऽत॑मानाम्। त्वा॒। पत्म॑न्। आ। धू॒नो॒मि॒। शु॒क्रम्। त्वा॒। शु॒क्रे। आ। धू॒नो॒मि॒। अह्नः॑। रू॒पे। सूर्य्य॑स्य। र॒श्मिषु॑ ॥४८॥
व्रेशीनाम्। त्वा। पत्मन्। आ। धूनोमि। कुकूननानाम्। त्वा। पत्मन्। आ। धूनोमि। भन्दनानाम्। त्वा। पत्मन्। आ। धूनोमि। मदिन्तमानामिति मदिन्ऽतमानाम्। त्वा। पत्मन्। आ। धूनोमि। मधुन्तमानामिति मधुन्ऽतमानाम्। त्वा। पत्मन्। आ। धूनोमि। शुक्रम्। त्वा। शुक्रे। आ। धूनोमि। अह्नः। रूपे। सूर्य्यस्य। रश्मिषु ॥४८॥