yajurveda/6/36

प्रागपा॒गुद॑गध॒राक्स॒र्वत॑स्त्वा॒ दिश॒ऽआधा॑वन्तु। अम्ब॒ निष्प॑र॒ सम॒रीर्वि॑दाम्॥३६॥

प्राक्। अपा॑क्। उद॑क्। अ॒ध॒राक्। स॒र्वतः॑। त्वा॒। दिशः॑। आ। धा॒व॒न्तु॒। अम्ब॑। निः। प॒र॒। सम्। अ॒रीः। वि॒दा॒म् ॥३६॥

ऋषिः - मधुच्छन्दा ऋषिः

देवता - सोमो देवता

छन्दः - पुरोष्णिक्,

स्वरः - ऋषभः

स्वर सहित मन्त्र

प्रागपा॒गुद॑गध॒राक्स॒र्वत॑स्त्वा॒ दिश॒ऽआधा॑वन्तु। अम्ब॒ निष्प॑र॒ सम॒रीर्वि॑दाम्॥३६॥

स्वर सहित पद पाठ

प्राक्। अपा॑क्। उद॑क्। अ॒ध॒राक्। स॒र्वतः॑। त्वा॒। दिशः॑। आ। धा॒व॒न्तु॒। अम्ब॑। निः। प॒र॒। सम्। अ॒रीः। वि॒दा॒म् ॥३६॥


स्वर रहित मन्त्र

प्रागपागुदगधराक्सर्वतस्त्वा दिशऽआधावन्तु। अम्ब निष्पर समरीर्विदाम्॥३६॥


स्वर रहित पद पाठ

प्राक्। अपाक्। उदक्। अधराक्। सर्वतः। त्वा। दिशः। आ। धावन्तु। अम्ब। निः। पर। सम्। अरीः। विदाम् ॥३६॥