yajurveda/5/8
ऋषिः - गोतम ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - विराट् आर्षी बृहती,निचृत् आर्षी बृहती,
स्वरः - मध्यमः
या। ते॒। अ॒ग्ने॒। अ॒यःशये॒त्य॑यःऽश॒या। त॒नूः। वर्षि॑ष्ठा। ग॒ह्व॒रे॒ष्ठा। ग॒ह्व॒रे॒स्थेति॑ गह्वरे॒ऽस्था। उ॒ग्रम्। वचः॑। अप॑। अ॒व॒धी॒त्। त्वे॒षम्। वचः॑। अप॑। अ॒व॒ऽधी॒त्। स्वाहा॑। या। ते॒। अ॒ग्ने॒। र॒जः॒श॒येति॑ रजःश॒या। त॒नूः। वर्षि॑ष्ठा। ग॒ह्व॒रे॒ष्ठा। ग॒ह्व॒रे॒स्थेति॑ गह्वरे॒ऽस्था। उ॒ग्रम्। वचः॑। अप॑। अ॒व॒धी॒त्। त्वे॒षम्। वचः॑। अप॑। अ॒व॒धी॒त्। स्वाहा॑ ॥८॥
या। ते। अग्ने। अयःशयेत्ययःऽशया। तनूः। वर्षिष्ठा। गह्वरेष्ठा। गह्वरेस्थेति गह्वरेऽस्था। उग्रम्। वचः। अप। अवधीत्। त्वेषम्। वचः। अप। अवऽधीत्। स्वाहा। या। ते। अग्ने। रजःशयेति रजःशया। तनूः। वर्षिष्ठा। गह्वरेष्ठा। गह्वरेस्थेति गह्वरेऽस्था। उग्रम्। वचः। अप। अवधीत्। त्वेषम्। वचः। अप। अवधीत्। स्वाहा ॥८॥