yajurveda/5/15

इ॒दं विष्णु॒र्विच॑क्रमे त्रे॒धा निद॑धे प॒दम्। समू॑ढमस्य पासु॒रे स्वाहा॑॥१५॥

इ॒दम्। विष्णुः॑। वि। च॒क्र॒मे॒। त्रे॒धा। नि। द॒धे॒। प॒दम् ॥ समू॑ढ॒मिति॒ सम्ऽऊ॑ढम्। अ॒स्य॒। पा॒सु॒रे। स्वाहा॑ ॥१५॥

ऋषिः - मेधातिथिर्ऋषिः

देवता - विष्णुर्देवता

छन्दः - भूरिक् आर्षी गायत्री,

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

इ॒दं विष्णु॒र्विच॑क्रमे त्रे॒धा निद॑धे प॒दम्। समू॑ढमस्य पासु॒रे स्वाहा॑॥१५॥

स्वर सहित पद पाठ

इ॒दम्। विष्णुः॑। वि। च॒क्र॒मे॒। त्रे॒धा। नि। द॒धे॒। प॒दम् ॥ समू॑ढ॒मिति॒ सम्ऽऊ॑ढम्। अ॒स्य॒। पा॒सु॒रे। स्वाहा॑ ॥१५॥


स्वर रहित मन्त्र

इदं विष्णुर्विचक्रमे त्रेधा निदधे पदम्। समूढमस्य पासुरे स्वाहा॥१५॥


स्वर रहित पद पाठ

इदम्। विष्णुः। वि। चक्रमे। त्रेधा। नि। दधे। पदम् ॥ समूढमिति सम्ऽऊढम्। अस्य। पासुरे। स्वाहा ॥१५॥