yajurveda/5/10

सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ कल्पस्व सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ शुन्धस्व सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ शुम्भस्व॥१०॥

सि॒ꣳही। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒सा॒ही। स॒प॒त्न॒सहीति॑ सपत्न॒ऽसही। दे॒वेभ्यः॑। क॒ल्प॒स्व॒। सि॒ꣳही। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒सा॒ही। स॒प॒त्न॒स॒हीति॑ सपत्नऽस॒ही। दे॒वेभ्यः॑। शु॒न्ध॒स्व॒। सि॒ꣳही। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒सा॒ही। स॒प॒त्न॒स॒हीति॑ सपत्नऽस॒ही। दे॒वेभ्यः॑। शु॒म्भ॒स्व॒ ॥१०॥

ऋषिः - गोतम ऋषिः

देवता - वाग्देवता

छन्दः - ब्राह्मी उष्णिक्,

स्वरः - ऋषभः

स्वर सहित मन्त्र

सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ कल्पस्व सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ शुन्धस्व सि॒ह्यसि सपत्नसा॒ही दे॒वेभ्यः॑ शुम्भस्व॥१०॥

स्वर सहित पद पाठ

सि॒ꣳही। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒सा॒ही। स॒प॒त्न॒सहीति॑ सपत्न॒ऽसही। दे॒वेभ्यः॑। क॒ल्प॒स्व॒। सि॒ꣳही। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒सा॒ही। स॒प॒त्न॒स॒हीति॑ सपत्नऽस॒ही। दे॒वेभ्यः॑। शु॒न्ध॒स्व॒। सि॒ꣳही। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒सा॒ही। स॒प॒त्न॒स॒हीति॑ सपत्नऽस॒ही। दे॒वेभ्यः॑। शु॒म्भ॒स्व॒ ॥१०॥


स्वर रहित मन्त्र

सिह्यसि सपत्नसाही देवेभ्यः कल्पस्व सिह्यसि सपत्नसाही देवेभ्यः शुन्धस्व सिह्यसि सपत्नसाही देवेभ्यः शुम्भस्व॥१०॥


स्वर रहित पद पाठ

सिꣳही। असि। सपत्नसाही। सपत्नसहीति सपत्नऽसही। देवेभ्यः। कल्पस्व। सिꣳही। असि। सपत्नसाही। सपत्नसहीति सपत्नऽसही। देवेभ्यः। शुन्धस्व। सिꣳही। असि। सपत्नसाही। सपत्नसहीति सपत्नऽसही। देवेभ्यः। शुम्भस्व ॥१०॥