yajurveda/39/12

तप॑से॒ स्वाहा॒ तप्य॑ते॒ स्वाहा॒ तप्य॑मानाय॒ स्वाहा॑ त॒प्ताय॒ स्वाहा॑ घ॒र्माय॒ स्वाहा॑। निष्कृ॑त्यै॒ स्वाहा॒ प्राय॑श्चित्यै॒ स्वाहा॑ भेष॒जाय॒ स्वाहा॑॥१२॥

तप॑से। स्वाहा॑। तप्य॑ते। स्वाहा॑। तप्य॑मानाय। स्वाहा॑। त॒प्ताय॑। स्वाहा॑। घ॒र्माय॑। स्वाहा॑ ॥ निष्कृ॑त्यै। निःऽकृ॑त्या॒ इति॒ निः॒ऽकृ॑त्यै। स्वाहा॑। प्राय॑श्चित्यै। स्वाहा॑। भे॒ष॒जाय॑। स्वाहा॑ ॥१२ ॥

ऋषिः - दीर्घतमा ऋषिः

देवता - अग्निर्देवता

छन्दः - त्रिष्टुप्

स्वरः - धैवतः

स्वर सहित मन्त्र

तप॑से॒ स्वाहा॒ तप्य॑ते॒ स्वाहा॒ तप्य॑मानाय॒ स्वाहा॑ त॒प्ताय॒ स्वाहा॑ घ॒र्माय॒ स्वाहा॑। निष्कृ॑त्यै॒ स्वाहा॒ प्राय॑श्चित्यै॒ स्वाहा॑ भेष॒जाय॒ स्वाहा॑॥१२॥

स्वर सहित पद पाठ

तप॑से। स्वाहा॑। तप्य॑ते। स्वाहा॑। तप्य॑मानाय। स्वाहा॑। त॒प्ताय॑। स्वाहा॑। घ॒र्माय॑। स्वाहा॑ ॥ निष्कृ॑त्यै। निःऽकृ॑त्या॒ इति॒ निः॒ऽकृ॑त्यै। स्वाहा॑। प्राय॑श्चित्यै। स्वाहा॑। भे॒ष॒जाय॑। स्वाहा॑ ॥१२ ॥


स्वर रहित मन्त्र

तपसे स्वाहा तप्यते स्वाहा तप्यमानाय स्वाहा तप्ताय स्वाहा घर्माय स्वाहा। निष्कृत्यै स्वाहा प्रायश्चित्यै स्वाहा भेषजाय स्वाहा॥१२॥


स्वर रहित पद पाठ

तपसे। स्वाहा। तप्यते। स्वाहा। तप्यमानाय। स्वाहा। तप्ताय। स्वाहा। घर्माय। स्वाहा ॥ निष्कृत्यै। निःऽकृत्या इति निःऽकृत्यै। स्वाहा। प्रायश्चित्यै। स्वाहा। भेषजाय। स्वाहा ॥१२ ॥