yajurveda/38/17
ऋषिः - दीर्घतमा ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - निचृदतिशक्वरी
स्वरः - पञ्चमः
अ॒भि। इ॒मम्। म॒हि॒मा। दिव॑म्। विप्रः॑। ब॒भू॒व॒। स॒प्रथा॒ इति॑ स॒ऽप्रथाः॑। उ॒त। श्रव॑सा। पृ॒थि॒वीम्। सम्। सी॒द॒स्व॒। म॒हान्। अ॒सि॒। रोच॑स्व। दे॒व॒वीत॑म॒ इति॑ देव॒ऽवीत॑मः। वि। धू॒मम्। अ॒ग्ने॒। अ॒रु॒षम्। मि॒ये॒ध्य॒। सृ॒ज। प्र॒श॒स्त॒। द॒र्श॒तम् ॥१७ ॥
अभि। इमम्। महिमा। दिवम्। विप्रः। बभूव। सप्रथा इति सऽप्रथाः। उत। श्रवसा। पृथिवीम्। सम्। सीदस्व। महान्। असि। रोचस्व। देववीतम इति देवऽवीतमः। वि। धूमम्। अग्ने। अरुषम्। मियेध्य। सृज। प्रशस्त। दर्शतम् ॥१७ ॥