yajurveda/37/20
ऋषिः - आथर्वण ऋषिः
देवता - ईश्वरो देवता
छन्दः - निचृदतिजगती
स्वरः - निषादः
पि॒ता। नः॒। अ॒सि॒। पि॒ता। नः॒। बो॒धि॒। नमः॑। ते॒। अ॒स्तु॒। मा। मा॒। हिं॒सीः॒ ॥ त्वष्टृ॑मन्त॒ इति॒ त्वष्टृ॑ऽमन्तः। त्वा॒। स॒पे॒म॒। पु॒त्रान्। प॒शून्। मयि॑। धे॒हि॒। प्र॒जामिति॑ प्र॒ऽजाम्। अ॒स्मासु॑। धे॒हि॒। अरि॑ष्टा। अ॒हम्। स॒हप॒त्येति॑ स॒हऽप॑त्या। भू॒या॒स॒म् ॥२० ॥
पिता। नः। असि। पिता। नः। बोधि। नमः। ते। अस्तु। मा। मा। हिंसीः ॥ त्वष्टृमन्त इति त्वष्टृऽमन्तः। त्वा। सपेम। पुत्रान्। पशून्। मयि। धेहि। प्रजामिति प्रऽजाम्। अस्मासु। धेहि। अरिष्टा। अहम्। सहपत्येति सहऽपत्या। भूयासम् ॥२० ॥