yajurveda/37/14

गर्भो॑ दे॒वानां॑ पि॒ता म॑ती॒नां पतिः॑ प्र॒जाना॑म्।सं दे॒वो दे॒वेन॑ सवि॒त्रा ग॑त॒ सꣳसूर्य्येण रोचते॥१४॥

गर्भः॑। दे॒वाना॑म्। पि॒ता। म॒ती॒नाम्। पतिः॑। प्र॒जाना॒मिति॑ प्र॒ऽजाना॑म् ॥ सम्। दे॒वः। दे॒वेन॑। स॒वि॒त्रा। ग॒त॒। सम्। सूर्य्ये॑ण। रो॒च॒ते॒ ॥१४ ॥

ऋषिः - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः

देवता - ईश्वरो देवता

छन्दः - भुरिगनुष्टुप्

स्वरः - गान्धारः

स्वर सहित मन्त्र

गर्भो॑ दे॒वानां॑ पि॒ता म॑ती॒नां पतिः॑ प्र॒जाना॑म्।सं दे॒वो दे॒वेन॑ सवि॒त्रा ग॑त॒ सꣳसूर्य्येण रोचते॥१४॥

स्वर सहित पद पाठ

गर्भः॑। दे॒वाना॑म्। पि॒ता। म॒ती॒नाम्। पतिः॑। प्र॒जाना॒मिति॑ प्र॒ऽजाना॑म् ॥ सम्। दे॒वः। दे॒वेन॑। स॒वि॒त्रा। ग॒त॒। सम्। सूर्य्ये॑ण। रो॒च॒ते॒ ॥१४ ॥


स्वर रहित मन्त्र

गर्भो देवानां पिता मतीनां पतिः प्रजानाम्।सं देवो देवेन सवित्रा गत सꣳसूर्य्येण रोचते॥१४॥


स्वर रहित पद पाठ

गर्भः। देवानाम्। पिता। मतीनाम्। पतिः। प्रजानामिति प्रऽजानाम् ॥ सम्। देवः। देवेन। सवित्रा। गत। सम्। सूर्य्येण। रोचते ॥१४ ॥