yajurveda/36/4

कया॑ नश्चि॒त्रऽ आ भु॑वदू॒ती स॒दावृ॑धः॒ सखा॑।कया॒ शचि॑ष्ठया वृ॒ता॥४॥

कया॑। नः॒। चि॒त्रः। आ। भु॒व॒त्। ऊ॒ती। स॒दावृ॑ध॒ इति॑ स॒दाऽवृ॑धः। सखा॑ ॥ कया॑। शचि॑ष्ठया। वृ॒ता ॥४ ॥

ऋषिः - वामदेव ऋषिः

देवता - इन्द्रो देवता

छन्दः - गायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

कया॑ नश्चि॒त्रऽ आ भु॑वदू॒ती स॒दावृ॑धः॒ सखा॑।कया॒ शचि॑ष्ठया वृ॒ता॥४॥

स्वर सहित पद पाठ

कया॑। नः॒। चि॒त्रः। आ। भु॒व॒त्। ऊ॒ती। स॒दावृ॑ध॒ इति॑ स॒दाऽवृ॑धः। सखा॑ ॥ कया॑। शचि॑ष्ठया। वृ॒ता ॥४ ॥


स्वर रहित मन्त्र

कया नश्चित्रऽ आ भुवदूती सदावृधः सखा।कया शचिष्ठया वृता॥४॥


स्वर रहित पद पाठ

कया। नः। चित्रः। आ। भुवत्। ऊती। सदावृध इति सदाऽवृधः। सखा ॥ कया। शचिष्ठया। वृता ॥४ ॥