yajurveda/36/18
ऋषिः - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः
देवता - ईश्वरो देवता
छन्दः - भुरिग् जगती
स्वरः - निषादः
दृते॑। दृꣳह॑। मा॒। मि॒त्रस्य॑। मा॒। चक्षु॑षा। सर्वा॑णि। भू॒तानि॑। सम्। ई॒क्ष॒न्ता॒म् ॥ मि॒त्रस्य॑। अ॒हम्। चक्षु॑षा। सर्वा॑णि। भू॒तानि॑। सम्। ई॒क्षे॒। मि॒त्रस्य॑। चक्षु॑षा। सम्। ई॒क्षा॒म॒हे॒ ॥१८ ॥
दृते। दृꣳह। मा। मित्रस्य। मा। चक्षुषा। सर्वाणि। भूतानि। सम्। ईक्षन्ताम् ॥ मित्रस्य। अहम्। चक्षुषा। सर्वाणि। भूतानि। सम्। ईक्षे। मित्रस्य। चक्षुषा। सम्। ईक्षामहे ॥१८ ॥