yajurveda/36/13

स्यो॒ना पृ॑थिवि नो भवानृक्ष॒रा नि॒वेश॑नी।यच्छा॑ नः॒ शर्म॑ स॒प्रथाः॑॥१३॥

स्यो॒ना। पृ॒थि॒वि॒। नः॒। भ॒व॒। अ॒नृ॒क्ष॒रा। नि॒वेश॒नीति॑ नि॒ऽवेश॑नी ॥ यच्छ॑। नः॒। शर्म्म॑। स॒प्रथा॒ इति॑ स॒ऽप्रथाः॑ ॥१३ ॥

ऋषिः - मेधातिथिर्ऋषिः

देवता - पृथिवी देवता

छन्दः - पिपीलिकामध्या निचृदगायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

स्यो॒ना पृ॑थिवि नो भवानृक्ष॒रा नि॒वेश॑नी।यच्छा॑ नः॒ शर्म॑ स॒प्रथाः॑॥१३॥

स्वर सहित पद पाठ

स्यो॒ना। पृ॒थि॒वि॒। नः॒। भ॒व॒। अ॒नृ॒क्ष॒रा। नि॒वेश॒नीति॑ नि॒ऽवेश॑नी ॥ यच्छ॑। नः॒। शर्म्म॑। स॒प्रथा॒ इति॑ स॒ऽप्रथाः॑ ॥१३ ॥


स्वर रहित मन्त्र

स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी।यच्छा नः शर्म सप्रथाः॥१३॥


स्वर रहित पद पाठ

स्योना। पृथिवि। नः। भव। अनृक्षरा। निवेशनीति निऽवेशनी ॥ यच्छ। नः। शर्म्म। सप्रथा इति सऽप्रथाः ॥१३ ॥