yajurveda/35/6

प्र॒जाप॑तौ त्वा दे॒वता॑या॒मुपो॑दके लो॒के नि द॑धाम्यसौ।अप॑ नः॒ शोशु॑चद॒घम्॥६॥

प्र॒जाप॑ता॒विति॑ प्र॒जाऽप॑तौ। त्वा॒। दे॒वता॑याम्। उपो॑दक॒ इत्युप॑ऽउदके। लो॒के। नि। द॒धा॒मि॒। अ॒सौ॒ ॥ अप॑। नः॒। शोशु॑चत्। अ॒घम् ॥६ ॥

ऋषिः - सड्कसुक ऋषिः

देवता - यमो देवता

छन्दः - उष्णिक्

स्वरः - ऋषभः

स्वर सहित मन्त्र

प्र॒जाप॑तौ त्वा दे॒वता॑या॒मुपो॑दके लो॒के नि द॑धाम्यसौ।अप॑ नः॒ शोशु॑चद॒घम्॥६॥

स्वर सहित पद पाठ

प्र॒जाप॑ता॒विति॑ प्र॒जाऽप॑तौ। त्वा॒। दे॒वता॑याम्। उपो॑दक॒ इत्युप॑ऽउदके। लो॒के। नि। द॒धा॒मि॒। अ॒सौ॒ ॥ अप॑। नः॒। शोशु॑चत्। अ॒घम् ॥६ ॥


स्वर रहित मन्त्र

प्रजापतौ त्वा देवतायामुपोदके लोके नि दधाम्यसौ।अप नः शोशुचदघम्॥६॥


स्वर रहित पद पाठ

प्रजापताविति प्रजाऽपतौ। त्वा। देवतायाम्। उपोदक इत्युपऽउदके। लोके। नि। दधामि। असौ ॥ अप। नः। शोशुचत्। अघम् ॥६ ॥