yajurveda/35/21

स्यो॒ना पृ॑थिवि नो भवानृक्ष॒रा नि॒वेश॑नी।यच्छा॑ नः॒ शर्म॑ स॒प्रथाः॑। अप॑ नः॒ शोशु॑चद॒घम्॥२१॥

स्यो॒ना। पृ॒थि॒वि॒। नः॒। भ॒व॒। अ॒नृ॒क्ष॒रा। नि॒वेश॒नीति॑ नि॒ऽवेश॑नी ॥ यच्छ॑। नः॒। शर्म्म॑। स॒प्रथा॒ इति॑ स॒प्रथाः॑। अपः॑। नः॒। शो॒शु॒च॒त्। अ॒घम् ॥२१ ॥

ऋषिः - आदित्या देवा ऋषयः

देवता - अग्निर्देवता

छन्दः - निचृद्गायत्री, प्राजापत्या गायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

स्यो॒ना पृ॑थिवि नो भवानृक्ष॒रा नि॒वेश॑नी।यच्छा॑ नः॒ शर्म॑ स॒प्रथाः॑। अप॑ नः॒ शोशु॑चद॒घम्॥२१॥

स्वर सहित पद पाठ

स्यो॒ना। पृ॒थि॒वि॒। नः॒। भ॒व॒। अ॒नृ॒क्ष॒रा। नि॒वेश॒नीति॑ नि॒ऽवेश॑नी ॥ यच्छ॑। नः॒। शर्म्म॑। स॒प्रथा॒ इति॑ स॒प्रथाः॑। अपः॑। नः॒। शो॒शु॒च॒त्। अ॒घम् ॥२१ ॥


स्वर रहित मन्त्र

स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी।यच्छा नः शर्म सप्रथाः। अप नः शोशुचदघम्॥२१॥


स्वर रहित पद पाठ

स्योना। पृथिवि। नः। भव। अनृक्षरा। निवेशनीति निऽवेशनी ॥ यच्छ। नः। शर्म्म। सप्रथा इति सप्रथाः। अपः। नः। शोशुचत्। अघम् ॥२१ ॥