yajurveda/33/76

उ॒क्थेभि॑र्वृत्र॒हन्त॑मा॒ या म॑न्दा॒ना चि॒दा गि॒रा।आ॒ङ्गू॒षैरा॒विवा॑सतः॥७६॥

उ॒क्थेभिः॑। वृ॒त्र॒हन्त॒मेति॑ वृत्र॒हन्ऽत॑मा। या। मन्दा॒ना। चि॒त्। आ। गि॒रा ॥ आ॒ङ्गूषैः। आ॒विवा॑सत॒ इत्या॒विवा॑सतः ॥७६ ॥

ऋषिः - वसिष्ठ ऋषिः

देवता - इन्द्राग्नी देवते

छन्दः - गायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

उ॒क्थेभि॑र्वृत्र॒हन्त॑मा॒ या म॑न्दा॒ना चि॒दा गि॒रा।आ॒ङ्गू॒षैरा॒विवा॑सतः॥७६॥

स्वर सहित पद पाठ

उ॒क्थेभिः॑। वृ॒त्र॒हन्त॒मेति॑ वृत्र॒हन्ऽत॑मा। या। मन्दा॒ना। चि॒त्। आ। गि॒रा ॥ आ॒ङ्गूषैः। आ॒विवा॑सत॒ इत्या॒विवा॑सतः ॥७६ ॥


स्वर रहित मन्त्र

उक्थेभिर्वृत्रहन्तमा या मन्दाना चिदा गिरा।आङ्गूषैराविवासतः॥७६॥


स्वर रहित पद पाठ

उक्थेभिः। वृत्रहन्तमेति वृत्रहन्ऽतमा। या। मन्दाना। चित्। आ। गिरा ॥ आङ्गूषैः। आविवासत इत्याविवासतः ॥७६ ॥