yajurveda/33/32

येना॑ पावक॒ चक्ष॑सा भुर॒णयन्तं॒ जनाँ॒२ऽअनु॑।त्वं व॑रुण॒ पश्य॑सि॥३२॥

येन॑। पा॒व॒क॒। चक्ष॑सा। भु॒र॒ण्यन्त॑म्। जना॑न्। अनु॑ ॥ त्वम्। व॒रु॒॒ण॒। पश्य॑सि ॥३२ ॥

ऋषिः - प्रस्कण्व ऋषिः

देवता - सूर्यो देवता

छन्दः - निचृद्गायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

येना॑ पावक॒ चक्ष॑सा भुर॒णयन्तं॒ जनाँ॒२ऽअनु॑।त्वं व॑रुण॒ पश्य॑सि॥३२॥

स्वर सहित पद पाठ

येन॑। पा॒व॒क॒। चक्ष॑सा। भु॒र॒ण्यन्त॑म्। जना॑न्। अनु॑ ॥ त्वम्। व॒रु॒॒ण॒। पश्य॑सि ॥३२ ॥


स्वर रहित मन्त्र

येना पावक चक्षसा भुरणयन्तं जनाँ२ऽअनु।त्वं वरुण पश्यसि॥३२॥


स्वर रहित पद पाठ

येन। पावक। चक्षसा। भुरण्यन्तम्। जनान्। अनु ॥ त्वम्। वरुण। पश्यसि ॥३२ ॥