yajurveda/32/8
ऋषिः - स्वयम्भु ब्रह्म ऋषिः
देवता - परमात्मा देवता
छन्दः - निचृत त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
वे॒नः। तत्। प॒श्य॒त्। निहि॑त॒मिति॒ निऽहि॑तम्। गुहा॑। सत्। यत्र॑। विश्व॑म्। भव॑ति। एक॑नीड॒मित्येकऽनीडम् ॥ तस्मि॑न्। इ॒दम। सम्। च॒। वि। च॒। ए॒ति॒। सर्व॑म्। सः। ओत॒ इत्याऽउ॑तः। प्रोत॒ इति॒ प्रऽउ॑तः। च॒। वि॒भूरिति॑ वि॒ऽभूः। प्र॒जास्विति॑ प्र॒ऽजासु॑ ॥८ ॥
वेनः। तत्। पश्यत्। निहितमिति निऽहितम्। गुहा। सत्। यत्र। विश्वम्। भवति। एकनीडमित्येकऽनीडम् ॥ तस्मिन्। इदम। सम्। च। वि। च। एति। सर्वम्। सः। ओत इत्याऽउतः। प्रोत इति प्रऽउतः। च। विभूरिति विऽभूः। प्रजास्विति प्रऽजासु ॥८ ॥