yajurveda/32/7
ऋषिः - स्वयम्भु ब्रह्म ऋषिः
देवता - परमात्मा देवता
छन्दः - निचृच्छक्वरी
स्वरः - धैवतः
यम्। क्रन्द॑सी॒ऽइति क्रन्द॑सी। अव॑सा। त॒स्त॒भा॒ने इति॑ तस्तऽभा॒ने। अ॒भि। ऐक्षे॑ताम्। मन॑सा। रेज॑माने॒ऽइति॒ रेज॑माने ॥ यत्र॑। अधि॑। सूरः॑। उदि॑त॒ इत्युत्ऽइ॑तः। वि॒भाती॑ति वि॒ऽभाति॑। कस्मै॑। दे॒वाय॑। ह॒विषा॑। वि॒धे॒म॒। आपः॑। ह॒। यत्। बृ॒ह॒तीः। यः। चि॒त्। आपः॑ ॥७ ॥
यम्। क्रन्दसीऽइति क्रन्दसी। अवसा। तस्तभाने इति तस्तऽभाने। अभि। ऐक्षेताम्। मनसा। रेजमानेऽइति रेजमाने ॥ यत्र। अधि। सूरः। उदित इत्युत्ऽइतः। विभातीति विऽभाति। कस्मै। देवाय। हविषा। विधेम। आपः। ह। यत्। बृहतीः। यः। चित्। आपः ॥७ ॥