yajurveda/3/54
ऋषिः - बन्धुर्ऋषिः
देवता - मनो देवता
छन्दः - विराट् गायत्री,
स्वरः - षड्जः
आ। नः॒। ए॒तु॒। मनः॑। पुन॒रिति॒ पुनः॑। क्रत्वे॑। दक्षा॑य। जी॒वसे॑। ज्योक्। च॒। सूर्य॑म्। दृ॒शे ॥५४॥
आ। नः। एतु। मनः। पुनरिति पुनः। क्रत्वे। दक्षाय। जीवसे। ज्योक्। च। सूर्यम्। दृशे ॥५४॥