yajurveda/3/16

अ॒स्य प्र॒त्नामनु॒ द्युत॑ꣳ शु॒क्रं दु॑दुह्रे॒ऽअह्र॑यः। पयः॑ सहस्र॒सामृषि॑म्॥१६॥

अ॒स्य। प्र॒त्नाम्। अनु॑। द्युत॑म्। शु॒क्रम्। दु॒दु॒ह्रे॒। अह्र॑यः। पयः॑। स॒ह॒स्र॒सामिति॑ सहस्र॒ऽसाम्। ऋषि॑म् ॥१६॥

ऋषिः - अवत्सार ऋषिः

देवता - अग्निर्देवता

छन्दः - गायत्री,

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

अ॒स्य प्र॒त्नामनु॒ द्युत॑ꣳ शु॒क्रं दु॑दुह्रे॒ऽअह्र॑यः। पयः॑ सहस्र॒सामृषि॑म्॥१६॥

स्वर सहित पद पाठ

अ॒स्य। प्र॒त्नाम्। अनु॑। द्युत॑म्। शु॒क्रम्। दु॒दु॒ह्रे॒। अह्र॑यः। पयः॑। स॒ह॒स्र॒सामिति॑ सहस्र॒ऽसाम्। ऋषि॑म् ॥१६॥


स्वर रहित मन्त्र

अस्य प्रत्नामनु द्युतꣳ शुक्रं दुदुह्रेऽअह्रयः। पयः सहस्रसामृषिम्॥१६॥


स्वर रहित पद पाठ

अस्य। प्रत्नाम्। अनु। द्युतम्। शुक्रम्। दुदुह्रे। अह्रयः। पयः। सहस्रसामिति सहस्रऽसाम्। ऋषिम् ॥१६॥