yajurveda/29/55
ऋषिः - भारद्वाज ऋषिः
देवता - वीरा देवताः
छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
उप॑। श्वा॒स॒य॒। पृ॒थि॒वीम्। उ॒त। द्याम्। पुरु॒त्रेति॑ पुरु॒ऽत्रा। ते॒। म॒नु॒ता॒म्। विष्ठि॑तम्। विस्थि॑त॒मिति॒ विऽस्थि॑तम्। जग॑त्। सः। दु॒न्दु॒भे॒। स॒जूरिति॑ स॒जूः। इन्द्रे॑ण। दे॒वैः। दू॒रात्। दवीयः॑। अप॑। से॒ध॒। शत्रू॑न् ॥५५ ॥
उप। श्वासय। पृथिवीम्। उत। द्याम्। पुरुत्रेति पुरुऽत्रा। ते। मनुताम्। विष्ठितम्। विस्थितमिति विऽस्थितम्। जगत्। सः। दुन्दुभे। सजूरिति सजूः। इन्द्रेण। देवैः। दूरात्। दवीयः। अप। सेध। शत्रून् ॥५५ ॥