yajurveda/29/35
ऋषिः - भार्गवो जमदग्निर्ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - निचृत् त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
उ॒पाव॑सृ॒जेत्युप॒ऽअव॑सृज। त्मन्या॑। स॒म॒ञ्जन्निति॑ सम्ऽअ॒ञ्जन्। दे॒वाना॑म्। पाथः॑। ऋ॒तु॒थेत्यृ॑तु॒ऽथा। ह॒वींषि॑। वन॒स्पतिः॑। श॒मि॒ता। दे॒वः। अ॒ग्निः। स्वद॑न्तु। ह॒व्यम्। मधु॑ना। घृ॒तेन॑ ॥३५ ॥
उपावसृजेत्युपऽअवसृज। त्मन्या। समञ्जन्निति सम्ऽअञ्जन्। देवानाम्। पाथः। ऋतुथेत्यृतुऽथा। हवींषि। वनस्पतिः। शमिता। देवः। अग्निः। स्वदन्तु। हव्यम्। मधुना। घृतेन ॥३५ ॥