yajurveda/29/32
ऋषिः - भार्गवो जमदग्निर्ऋषिः
देवता - विद्वांसो देवता
छन्दः - आर्षी
स्वरः - धैवतः
दैव्या॑। होता॑रा। प्र॒थ॒मा। सु॒वाचेति॑ सु॒ऽवाचा॑। मिमा॑ना। य॒ज्ञम्। मनु॑षः। यज॑ध्यै। प्र॒चो॒दय॒न्तेति॑ प्रऽचो॒दय॑न्ता। वि॒दथे॑षु। का॒रूऽइति॑ का॒रू। प्रा॒चीन॑म्। ज्योतिः॑। प्र॒दिशेति॑ प्र॒ऽदिशा॑। दि॒शन्ता॑ ॥३२ ॥
दैव्या। होतारा। प्रथमा। सुवाचेति सुऽवाचा। मिमाना। यज्ञम्। मनुषः। यजध्यै। प्रचोदयन्तेति प्रऽचोदयन्ता। विदथेषु। कारूऽइति कारू। प्राचीनम्। ज्योतिः। प्रदिशेति प्रऽदिशा। दिशन्ता ॥३२ ॥