yajurveda/25/40
ऋषिः - गोतम ऋषिः
देवता - यज्ञो देवता
छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
यत्। ते॒। सा॒दे। मह॑सा। शूकृ॑तस्य। पार्ष्ण्या॑। वा॒। कश॑या। वा॒। तु॒तोद॑। स्रु॒चेवे॑ति सु॒चाऽइ॑व। ता। ह॒विषः॒। अ॒ध्व॒रेषु॑। सर्वा॑। ता। ते॒। ब्रह्म॑णा। सू॒द॒या॒मि॒ ॥४० ॥
यत्। ते। सादे। महसा। शूकृतस्य। पार्ष्ण्या। वा। कशया। वा। तुतोद। स्रुचेवेति सुचाऽइव। ता। हविषः। अध्वरेषु। सर्वा। ता। ते। ब्रह्मणा। सूदयामि ॥४० ॥