yajurveda/25/31

यद्वा॒जिनो॒ दाम॑ स॒न्दान॒मर्व॑तो॒ या शी॑र्ष॒ण्या रश॒ना रज्जु॑रस्य।यद्वा॑ घास्य॒ प्रभृ॑तमा॒स्ये] तृण॒ꣳ सर्वा॒ ता ते॒ऽअपि॑ दे॒वेष्व॑स्तु॥३१॥

यत्। वा॒जिनः॑। दाम॑। स॒न्दान॒मिति॑ स॒म्ऽदान॑म्। अर्व॑तः। या। शी॒र्ष॒ण्या᳖। र॒श॒ना। रज्जुः॑। अ॒स्य॒। यत्। वा॒। घ॒। अ॒स्य॒। प्रभृ॑त॒मिति॒ प्रऽभृ॑तम्। आ॒स्ये᳖। तृण॑म्। सर्वा॑। ता। ते॒। अपि॑। दे॒वेषु॑। अ॒स्तु॒ ॥३१ ॥

ऋषिः - गोतम ऋषिः

देवता - यज्ञो देवता

छन्दः - त्रिष्टुप्

स्वरः - धैवतः

स्वर सहित मन्त्र

यद्वा॒जिनो॒ दाम॑ स॒न्दान॒मर्व॑तो॒ या शी॑र्ष॒ण्या रश॒ना रज्जु॑रस्य।यद्वा॑ घास्य॒ प्रभृ॑तमा॒स्ये] तृण॒ꣳ सर्वा॒ ता ते॒ऽअपि॑ दे॒वेष्व॑स्तु॥३१॥

स्वर सहित पद पाठ

यत्। वा॒जिनः॑। दाम॑। स॒न्दान॒मिति॑ स॒म्ऽदान॑म्। अर्व॑तः। या। शी॒र्ष॒ण्या᳖। र॒श॒ना। रज्जुः॑। अ॒स्य॒। यत्। वा॒। घ॒। अ॒स्य॒। प्रभृ॑त॒मिति॒ प्रऽभृ॑तम्। आ॒स्ये᳖। तृण॑म्। सर्वा॑। ता। ते॒। अपि॑। दे॒वेषु॑। अ॒स्तु॒ ॥३१ ॥


स्वर रहित मन्त्र

यद्वाजिनो दाम सन्दानमर्वतो या शीर्षण्या रशना रज्जुरस्य।यद्वा घास्य प्रभृतमास्ये] तृणꣳ सर्वा ता तेऽअपि देवेष्वस्तु॥३१॥


स्वर रहित पद पाठ

यत्। वाजिनः। दाम। सन्दानमिति सम्ऽदानम्। अर्वतः। या। शीर्षण्या᳖। रशना। रज्जुः। अस्य। यत्। वा। घ। अस्य। प्रभृतमिति प्रऽभृतम्। आस्ये᳖। तृणम्। सर्वा। ता। ते। अपि। देवेषु। अस्तु ॥३१ ॥