yajurveda/23/6

यु॒ञ्जन्त्य॑स्य॒ काम्या॒ हरी॒ विप॑क्षसा॒ रथे॑। शोणा॑ धृ॒ष्णू नृ॒वाह॑सा॥६॥

यु॒ञ्जन्ति॑। अ॒स्य॒। काम्या॑। हरी॒ऽइति॒ हरी॑। विप॑क्ष॒सेति॒ विऽप॑क्षसा। रथे॑। शोणा॑। धृ॒ष्णूऽइति॑ धृ॒ष्णू। नृ॒वाह॒सेति॑ नृ॒ऽवाह॑सा ॥६ ॥

ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः

देवता - सूर्यो देवता

छन्दः - विराडगायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

यु॒ञ्जन्त्य॑स्य॒ काम्या॒ हरी॒ विप॑क्षसा॒ रथे॑। शोणा॑ धृ॒ष्णू नृ॒वाह॑सा॥६॥

स्वर सहित पद पाठ

यु॒ञ्जन्ति॑। अ॒स्य॒। काम्या॑। हरी॒ऽइति॒ हरी॑। विप॑क्ष॒सेति॒ विऽप॑क्षसा। रथे॑। शोणा॑। धृ॒ष्णूऽइति॑ धृ॒ष्णू। नृ॒वाह॒सेति॑ नृ॒ऽवाह॑सा ॥६ ॥


स्वर रहित मन्त्र

युञ्जन्त्यस्य काम्या हरी विपक्षसा रथे। शोणा धृष्णू नृवाहसा॥६॥


स्वर रहित पद पाठ

युञ्जन्ति। अस्य। काम्या। हरीऽइति हरी। विपक्षसेति विऽपक्षसा। रथे। शोणा। धृष्णूऽइति धृष्णू। नृवाहसेति नृऽवाहसा ॥६ ॥