yajurveda/23/58
ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - समिधा देवता
छन्दः - निचृत त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
षट्। अ॒स्य॒। वि॒ष्ठाः। वि॒स्था इति॑ वि॒ऽस्थाः। श॒तम्। अ॒क्षरा॑णि। अ॒शी॒तिः। होमाः॑। स॒मिध॒ इति॑ स॒म्ऽइधः॑। ह॒। ति॒स्रः। य॒ज्ञस्य॑। ते॒ वि॒दथा॑। प्र। ब्र॒वी॒मि॒। स॒प्त। होता॑रः। ऋ॒तु॒श इति॑ ऋतु॒ऽशः। य॒ज॒न्ति॒ ॥५८ ॥
षट्। अस्य। विष्ठाः। विस्था इति विऽस्थाः। शतम्। अक्षराणि। अशीतिः। होमाः। समिध इति सम्ऽइधः। ह। तिस्रः। यज्ञस्य। ते विदथा। प्र। ब्रवीमि। सप्त। होतारः। ऋतुश इति ऋतुऽशः। यजन्ति ॥५८ ॥