yajurveda/23/4
ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - परमेश्वरो देवता
छन्दः - विकृतिः
स्वरः - मध्यमः
उ॒प॒या॒मगृ॑हीत॒ इत्यु॑पया॒मऽगृ॑हीतः। अ॒सि॒। प्र॒जाप॑तय॒ इति॑ प्र॒जाऽप॑तये। त्वा॒। जुष्ट॑म्। गृ॒ह्णा॒मि॒। ए॒षः। ते॒। योनिः॑। च॒न्द्रमाः॑। ते॒। म॒हि॒मा। यः। ते॒। रात्रौ॑। सं॒व॒त्स॒रे। म॒हि॒मा। स॒म्ब॒भूवेति॑ सम्ऽब॒भूव॑। यः। ते॒। पृ॒थि॒व्याम्। अ॒ग्नौ। म॒हि॒मा। स॒म्ब॒भूवेति॑ सम्ऽब॒भूव॑। यः। ते॒। नक्ष॑त्रेषु। च॒न्द्रम॑सि। म॒हि॒मा। स॒म्ब॒भूवेति॑ सम्ऽब॒भूव॑। तस्मै॑। ते॒। म॒हि॒म्ने। प्र॒जाप॑तय॒ इति॑ प्र॒जाऽप॑तये। दे॒वेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥४ ॥
उपयामगृहीत इत्युपयामऽगृहीतः। असि। प्रजापतय इति प्रजाऽपतये। त्वा। जुष्टम्। गृह्णामि। एषः। ते। योनिः। चन्द्रमाः। ते। महिमा। यः। ते। रात्रौ। संवत्सरे। महिमा। सम्बभूवेति सम्ऽबभूव। यः। ते। पृथिव्याम्। अग्नौ। महिमा। सम्बभूवेति सम्ऽबभूव। यः। ते। नक्षत्रेषु। चन्द्रमसि। महिमा। सम्बभूवेति सम्ऽबभूव। तस्मै। ते। महिम्ने। प्रजापतय इति प्रजाऽपतये। देवेभ्यः। स्वाहा ॥४ ॥