yajurveda/23/22

य॒कास॒कौ श॑कुन्ति॒काहल॒गिति॒ वञ्च॑ति। आह॑न्ति ग॒भे पसो॒ निग॑ल्गलीति॒ धार॑का॥२२॥

य॒का। अ॒स॒कौ। श॒कु॒न्ति॒का। आ॒हल॑क्। इति॑। वञ्च॑ति। आ। ह॒न्ति॒। ग॒भे। पसः॑। निग॑ल्गलीति। धार॑का ॥२२ ॥

ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः

देवता - राजप्रजे देवते

छन्दः - विराडनुष्टुप्

स्वरः - गान्धारः

स्वर सहित मन्त्र

य॒कास॒कौ श॑कुन्ति॒काहल॒गिति॒ वञ्च॑ति। आह॑न्ति ग॒भे पसो॒ निग॑ल्गलीति॒ धार॑का॥२२॥

स्वर सहित पद पाठ

य॒का। अ॒स॒कौ। श॒कु॒न्ति॒का। आ॒हल॑क्। इति॑। वञ्च॑ति। आ। ह॒न्ति॒। ग॒भे। पसः॑। निग॑ल्गलीति। धार॑का ॥२२ ॥


स्वर रहित मन्त्र

यकासकौ शकुन्तिकाहलगिति वञ्चति। आहन्ति गभे पसो निगल्गलीति धारका॥२२॥


स्वर रहित पद पाठ

यका। असकौ। शकुन्तिका। आहलक्। इति। वञ्चति। आ। हन्ति। गभे। पसः। निगल्गलीति। धारका ॥२२ ॥