yajurveda/22/13

रा॒तिꣳ सत्प॑तिं म॒हे स॑वि॒तार॒मुप॑ ह्वये। आ॒स॒वं दे॒ववी॑तये॥१३॥

रा॒तिम्। सत्प॑ति॒मिति॒। सत्ऽप॑तिम्। म॒हे। स॒वि॒तार॑म्। उप॑। ह्वये॒। आ॒स॒वमित्या॑ऽस॒वम्। दे॒ववी॑तय॒ऽइति॑ दे॒ववी॑तये ॥१३ ॥

ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः

देवता - सविता देवता

छन्दः - निचृदगायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

रा॒तिꣳ सत्प॑तिं म॒हे स॑वि॒तार॒मुप॑ ह्वये। आ॒स॒वं दे॒ववी॑तये॥१३॥

स्वर सहित पद पाठ

रा॒तिम्। सत्प॑ति॒मिति॒। सत्ऽप॑तिम्। म॒हे। स॒वि॒तार॑म्। उप॑। ह्वये॒। आ॒स॒वमित्या॑ऽस॒वम्। दे॒ववी॑तय॒ऽइति॑ दे॒ववी॑तये ॥१३ ॥


स्वर रहित मन्त्र

रातिꣳ सत्पतिं महे सवितारमुप ह्वये। आसवं देववीतये॥१३॥


स्वर रहित पद पाठ

रातिम्। सत्पतिमिति। सत्ऽपतिम्। महे। सवितारम्। उप। ह्वये। आसवमित्याऽसवम्। देववीतयऽइति देववीतये ॥१३ ॥