yajurveda/22/11

दे॒वस्य॒ चेत॑तो म॒हीं प्र स॑वि॒तुर्ह॑वामहे। सु॒म॒तिꣳ स॒त्यरा॑धसम्॥११॥

दे॒वस्य॑। चेत॑तः। म॒हीम्। प्र। स॒वि॒तुः। ह॒वा॒म॒हे॒। सु॒म॒तिमिति॑ सुऽम॒तिम्। स॒त्यरा॑धसमिति॑ स॒त्यऽरा॑धसम् ॥११ ॥

ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः

देवता - सविता देवता

छन्दः - गायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

दे॒वस्य॒ चेत॑तो म॒हीं प्र स॑वि॒तुर्ह॑वामहे। सु॒म॒तिꣳ स॒त्यरा॑धसम्॥११॥

स्वर सहित पद पाठ

दे॒वस्य॑। चेत॑तः। म॒हीम्। प्र। स॒वि॒तुः। ह॒वा॒म॒हे॒। सु॒म॒तिमिति॑ सुऽम॒तिम्। स॒त्यरा॑धसमिति॑ स॒त्यऽरा॑धसम् ॥११ ॥


स्वर रहित मन्त्र

देवस्य चेततो महीं प्र सवितुर्हवामहे। सुमतिꣳ सत्यराधसम्॥११॥


स्वर रहित पद पाठ

देवस्य। चेततः। महीम्। प्र। सवितुः। हवामहे। सुमतिमिति सुऽमतिम्। सत्यराधसमिति सत्यऽराधसम् ॥११ ॥