yajurveda/21/30
ऋषिः - स्वस्त्यात्रेय ऋषिः
देवता - अश्व्यादयो लिङ्गोक्ता देवताः
छन्दः - भुरिगत्यष्टिः
स्वरः - गान्धारः
होता॑। य॒क्ष॒त्। तनू॒नपा॒दिति॒ तनू॒ऽनपा॑त्। सर॑स्वतीम्। अविः॑। मे॒षः। न। भे॒ष॒जम्। प॒था। मधु॑म॒तेति॒ मधु॑ऽमता। भर॑न्। अ॒श्विना॑। इन्द्रा॑य। वी॒र्य᳕म्। बद॑रैः। उ॒प॒वाका॑भि॒रित्यु॑प॒ऽवाका॑भिः। भे॒ष॒जम्। तोक्म॑भि॒रिति॒ तोक्म॑ऽभिः। पयः॑। सोमः॑। प॒रि॒स्रुतेति॑ परि॒ऽस्रुता॑। घृ॒तम्। मधु॑। व्यन्तु॑। आज्य॑स्य। होतः॑। यज॑ ॥३० ॥
होता। यक्षत्। तनूनपादिति तनूऽनपात्। सरस्वतीम्। अविः। मेषः। न। भेषजम्। पथा। मधुमतेति मधुऽमता। भरन्। अश्विना। इन्द्राय। वीर्य᳕म्। बदरैः। उपवाकाभिरित्युपऽवाकाभिः। भेषजम्। तोक्मभिरिति तोक्मऽभिः। पयः। सोमः। परिस्रुतेति परिऽस्रुता। घृतम्। मधु। व्यन्तु। आज्यस्य। होतः। यज ॥३० ॥