yajurveda/20/90

अ॒श्विना॑ पिबतां॒ मधु॒ सर॑स्वत्या स॒जोष॑सा।इन्द्रः॑ सु॒त्रामा॑ वृत्र॒हा जु॒षन्ता॑ सो॒म्यं मधु॑॥९०॥

अ॒श्विना॑। पि॒ब॒ता॒म्। मधु॑। सर॑स्वत्या। स॒जोष॒सेति स॒ऽजोष॑सा। इन्द्रः॑। सु॒त्रामेति॑ सु॒ऽत्रामा॑। वृ॒त्र॒हेति॑ वृत्र॒ऽहा। जु॒षन्ता॑म्। सो॒म्यम्। मधु॑ ॥९० ॥

ऋषिः - मधुच्छन्दा ऋषिः

देवता - अश्विसरस्वतीन्द्रा देवताः

छन्दः - निचृदनुष्टुप्

स्वरः - गान्धारः

स्वर सहित मन्त्र

अ॒श्विना॑ पिबतां॒ मधु॒ सर॑स्वत्या स॒जोष॑सा।इन्द्रः॑ सु॒त्रामा॑ वृत्र॒हा जु॒षन्ता॑ सो॒म्यं मधु॑॥९०॥

स्वर सहित पद पाठ

अ॒श्विना॑। पि॒ब॒ता॒म्। मधु॑। सर॑स्वत्या। स॒जोष॒सेति स॒ऽजोष॑सा। इन्द्रः॑। सु॒त्रामेति॑ सु॒ऽत्रामा॑। वृ॒त्र॒हेति॑ वृत्र॒ऽहा। जु॒षन्ता॑म्। सो॒म्यम्। मधु॑ ॥९० ॥


स्वर रहित मन्त्र

अश्विना पिबतां मधु सरस्वत्या सजोषसा।इन्द्रः सुत्रामा वृत्रहा जुषन्ता सोम्यं मधु॥९०॥


स्वर रहित पद पाठ

अश्विना। पिबताम्। मधु। सरस्वत्या। सजोषसेति सऽजोषसा। इन्द्रः। सुत्रामेति सुऽत्रामा। वृत्रहेति वृत्रऽहा। जुषन्ताम्। सोम्यम्। मधु ॥९० ॥