yajurveda/20/28

सि॒ञ्चन्ति॒ परि॑ षिञ्च॒न्त्युत्सि॑ञ्चन्ति पु॒नन्ति॑ च।सुरा॑यै ब॒भ्वै्र मदे॑ कि॒न्त्वो व॑दति कि॒न्त्वः॥२८॥

सि॒ञ्चन्ति॒। परि॑। सि॒ञ्च॒न्ति॒। उत्। सि॒ञ्च॒न्ति॒। पु॒नन्ति॑। च॒। सुरा॑यै। ब॒भ्र्वै। मदे॑। कि॒न्त्वः। व॒द॒ति॒। कि॒न्त्वः ॥२८ ॥

ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः

देवता - इन्द्रो देवता

छन्दः - भुरिगुष्णिक्

स्वरः - ऋषभः

स्वर सहित मन्त्र

सि॒ञ्चन्ति॒ परि॑ षिञ्च॒न्त्युत्सि॑ञ्चन्ति पु॒नन्ति॑ च।सुरा॑यै ब॒भ्वै्र मदे॑ कि॒न्त्वो व॑दति कि॒न्त्वः॥२८॥

स्वर सहित पद पाठ

सि॒ञ्चन्ति॒। परि॑। सि॒ञ्च॒न्ति॒। उत्। सि॒ञ्च॒न्ति॒। पु॒नन्ति॑। च॒। सुरा॑यै। ब॒भ्र्वै। मदे॑। कि॒न्त्वः। व॒द॒ति॒। कि॒न्त्वः ॥२८ ॥


स्वर रहित मन्त्र

सिञ्चन्ति परि षिञ्चन्त्युत्सिञ्चन्ति पुनन्ति च।सुरायै बभ्वै्र मदे किन्त्वो वदति किन्त्वः॥२८॥


स्वर रहित पद पाठ

सिञ्चन्ति। परि। सिञ्चन्ति। उत्। सिञ्चन्ति। पुनन्ति। च। सुरायै। बभ्र्वै। मदे। किन्त्वः। वदति। किन्त्वः ॥२८ ॥