yajurveda/2/11
ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - द्यावापृथिवी देवते
छन्दः - ब्राह्मी बृहती,
स्वरः - मध्यमः
उप॑हूत॒ इत्युप॑ऽहूतः। द्यौः। पि॒ता। उप॑। माम्। द्यौः। पि॒ता। ह्व॒य॒ता॒म्। अ॒ग्निः। आग्नी॑ध्रात्। स्वाहा॑। दे॒वस्य॑। त्वा॒। स॒वि॒तुः। प्र॒स॒व इति॑ प्रऽस॒वे। अ॒श्विनोः॑। बा॒हुभ्या॒मिति॑ बा॒हुऽभ्या॑म्। पू॒ष्णः। हस्ता॑भ्याम्। प्रति॑। गृ॒ह्णा॒मि॒। अ॒ग्नेः। त्वा॒। आ॒स्ये᳖न। प्र। अ॒श्ना॒मि॒ ॥११॥
उपहूत इत्युपऽहूतः। द्यौः। पिता। उप। माम्। द्यौः। पिता। ह्वयताम्। अग्निः। आग्नीध्रात्। स्वाहा। देवस्य। त्वा। सवितुः। प्रसव इति प्रऽसवे। अश्विनोः। बाहुभ्यामिति बाहुऽभ्याम्। पूष्णः। हस्ताभ्याम्। प्रति। गृह्णामि। अग्नेः। त्वा। आस्ये᳖न। प्र। अश्नामि ॥११॥