yajurveda/19/91

इन्द्र॑स्य रू॒पमृ॑ष॒भो बला॑य॒ कर्णा॑भ्या॒ श्रोत्र॑म॒मृतं॒ ग्रहा॑भ्याम्। यवा॒ न ब॒र्हिर्भ्रु॒वि केस॑राणि क॒र्कन्धु॑ जज्ञे॒ मधु॑ सार॒घं मुखा॑त्॥९१॥

इन्द्र॑स्य। रू॒पम्। ऋ॒ष॒भः। बला॑य। कर्णा॑भ्याम्। श्रोत्र॑म्। अ॒मृत॑म्। ग्रहा॑भ्याम्। यवाः॑। न। ब॒र्हिः। भ्रु॒वि। केस॑राणि। क॒र्कन्धु॑। ज॒ज्ञे॒। मधु॑। सा॒र॒घम्। मुखा॑त् ॥९१ ॥

ऋषिः - शङ्ख ऋषिः

देवता - इन्द्रो देवता

छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप्

स्वरः - धैवतः

स्वर सहित मन्त्र

इन्द्र॑स्य रू॒पमृ॑ष॒भो बला॑य॒ कर्णा॑भ्या॒ श्रोत्र॑म॒मृतं॒ ग्रहा॑भ्याम्। यवा॒ न ब॒र्हिर्भ्रु॒वि केस॑राणि क॒र्कन्धु॑ जज्ञे॒ मधु॑ सार॒घं मुखा॑त्॥९१॥

स्वर सहित पद पाठ

इन्द्र॑स्य। रू॒पम्। ऋ॒ष॒भः। बला॑य। कर्णा॑भ्याम्। श्रोत्र॑म्। अ॒मृत॑म्। ग्रहा॑भ्याम्। यवाः॑। न। ब॒र्हिः। भ्रु॒वि। केस॑राणि। क॒र्कन्धु॑। ज॒ज्ञे॒। मधु॑। सा॒र॒घम्। मुखा॑त् ॥९१ ॥


स्वर रहित मन्त्र

इन्द्रस्य रूपमृषभो बलाय कर्णाभ्या श्रोत्रममृतं ग्रहाभ्याम्। यवा न बर्हिर्भ्रुवि केसराणि कर्कन्धु जज्ञे मधु सारघं मुखात्॥९१॥


स्वर रहित पद पाठ

इन्द्रस्य। रूपम्। ऋषभः। बलाय। कर्णाभ्याम्। श्रोत्रम्। अमृतम्। ग्रहाभ्याम्। यवाः। न। बर्हिः। भ्रुवि। केसराणि। कर्कन्धु। जज्ञे। मधु। सारघम्। मुखात् ॥९१ ॥