yajurveda/19/44

वै॒श्व॒दे॒वी पु॑न॒ती दे॒व्यागा॒द् यस्या॑मि॒मा ब॒ह्व्यस्त॒न्वो वी॒तपृ॑ष्ठाः। तया॒ मद॑न्तः सध॒मादे॑षु व॒य स्या॑म॒ पत॑यो रयी॒णाम्॥४४॥

वै॒श्व॒दे॒वीति॑ वैश्वऽदे॒वी। पु॒न॒ती। दे॒वी। आ। अ॒गा॒त्। यस्या॑म्। इ॒माः। ब॒ह्व्यः᳖। त॒न्वः᳖। वी॒तपृ॑ष्ठा॒ इति॑ वी॒तऽपृ॑ष्ठाः। तया॑। मद॑न्तः। स॒ध॒मादे॒ष्विति॑ सध॒ऽमादे॑षु। व॒यम्। स्या॒म॒। पत॑यः। र॒यी॒णाम् ॥४४ ॥

ऋषिः - वैखानस ऋषिः

देवता - विश्वेदेवा देवताः

छन्दः - विराट् त्रिष्टुप्

स्वरः - धैवतः

स्वर सहित मन्त्र

वै॒श्व॒दे॒वी पु॑न॒ती दे॒व्यागा॒द् यस्या॑मि॒मा ब॒ह्व्यस्त॒न्वो वी॒तपृ॑ष्ठाः। तया॒ मद॑न्तः सध॒मादे॑षु व॒य स्या॑म॒ पत॑यो रयी॒णाम्॥४४॥

स्वर सहित पद पाठ

वै॒श्व॒दे॒वीति॑ वैश्वऽदे॒वी। पु॒न॒ती। दे॒वी। आ। अ॒गा॒त्। यस्या॑म्। इ॒माः। ब॒ह्व्यः᳖। त॒न्वः᳖। वी॒तपृ॑ष्ठा॒ इति॑ वी॒तऽपृ॑ष्ठाः। तया॑। मद॑न्तः। स॒ध॒मादे॒ष्विति॑ सध॒ऽमादे॑षु। व॒यम्। स्या॒म॒। पत॑यः। र॒यी॒णाम् ॥४४ ॥


स्वर रहित मन्त्र

वैश्वदेवी पुनती देव्यागाद् यस्यामिमा बह्व्यस्तन्वो वीतपृष्ठाः। तया मदन्तः सधमादेषु वय स्याम पतयो रयीणाम्॥४४॥


स्वर रहित पद पाठ

वैश्वदेवीति वैश्वऽदेवी। पुनती। देवी। आ। अगात्। यस्याम्। इमाः। बह्व्यः᳖। तन्वः᳖। वीतपृष्ठा इति वीतऽपृष्ठाः। तया। मदन्तः। सधमादेष्विति सधऽमादेषु। वयम्। स्याम। पतयः। रयीणाम् ॥४४ ॥