yajurveda/18/71
ऋषिः - जय ऋषिः
देवता - इन्द्रो देवता
छन्दः - आर्षी त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
मृ॒गः। न। भी॒मः। कु॒च॒र इति॑ कुऽच॒रः। गि॒रि॒ष्ठाः। गि॒रि॒स्था इति॑ गिरि॒ऽस्थाः। प॒रा॒वतः॑। आ। ज॒ग॒न्थ॒। पर॑स्याः। सृ॒कम्। स॒शायेति॑ स॒म्ऽशाय॑। प॒विम्। इ॒न्द्र॒। ति॒ग्मम्। वि। शत्रू॑न्। ता॒ढि॒। वि॒। मृधः॑। नु॒द॒स्व॒ ॥७१ ॥
मृगः। न। भीमः। कुचर इति कुऽचरः। गिरिष्ठाः। गिरिस्था इति गिरिऽस्थाः। परावतः। आ। जगन्थ। परस्याः। सृकम्। सशायेति सम्ऽशाय। पविम्। इन्द्र। तिग्मम्। वि। शत्रून्। ताढि। वि। मृधः। नुदस्व ॥७१ ॥