yajurveda/18/61
ऋषिः - गालव ऋषिः
देवता - प्रजापतिर्देवता
छन्दः - आर्षी त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
उत्। बु॒ध्य॒स्व॒। अ॒ग्ने॒। प्रति॑। जा॒गृहि॒। त्वम्। इ॒ष्टा॒पू॒र्त्ते इती॑ष्टाऽपू॒र्त्ते। सम्। सृ॒जे॒था॒म्। अ॒यम्। च॒। अ॒स्मिन्। स॒धस्थ॒ इति॑ स॒धऽस्थे॑। अधि॑। उत्त॑रस्मि॒न्नित्युत्ऽत॑रस्मिन्। विश्वे॑। दे॒वाः॒। यज॑मानः। च॒। सी॒द॒त॒ ॥६१ ॥
उत्। बुध्यस्व। अग्ने। प्रति। जागृहि। त्वम्। इष्टापूर्त्ते इतीष्टाऽपूर्त्ते। सम्। सृजेथाम्। अयम्। च। अस्मिन्। सधस्थ इति सधऽस्थे। अधि। उत्तरस्मिन्नित्युत्ऽतरस्मिन्। विश्वे। देवाः। यजमानः। च। सीदत ॥६१ ॥