yajurveda/17/60
ऋषिः - अप्रतिरथ ऋषिः
देवता - आदित्यो देवता
छन्दः - निचृदार्षी त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
उ॒क्षा। स॒मु॒द्रः। अ॒रु॒णः। सु॒प॒र्ण इति॑ सुऽप॒र्णः। पूर्व॑स्य। योनि॑म्। पि॒तुः। आ। वि॒वे॒श॒। मध्ये॑। दि॒वः। निहि॑त॒ इति॒ निऽहि॑तः। पृश्निः॑। अश्मा॑। वि। च॒क्र॒मे॒। रज॑सः। पा॒ति॒। अन्तौ॑ ॥६० ॥
उक्षा। समुद्रः। अरुणः। सुपर्ण इति सुऽपर्णः। पूर्वस्य। योनिम्। पितुः। आ। विवेश। मध्ये। दिवः। निहित इति निऽहितः। पृश्निः। अश्मा। वि। चक्रमे। रजसः। पाति। अन्तौ ॥६० ॥