yajurveda/17/44
ऋषिः - अप्रतिरथ ऋषिः
देवता - इन्द्रो देवता
छन्दः - विराडार्षी त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
अ॒मीषा॑म्। चि॒त्तम्। प्र॒ति॒लो॒भय॒न्तीति॑ प्रतिऽलो॒भय॑न्ती। गृ॒हा॒ण। अङ्गा॑नि। अ॒प्वे॒। परा॑। इ॒हि॒। अ॒भि। प्र। इ॒हि॒। निः। द॒ह॒। हृ॒त्स्विति॑ हृ॒त्ऽसु। शोकैः॑। अ॒न्धेन॑। अ॒मित्राः॑। तम॑सा। स॒च॒न्ता॒म् ॥४४ ॥
अमीषाम्। चित्तम्। प्रतिलोभयन्तीति प्रतिऽलोभयन्ती। गृहाण। अङ्गानि। अप्वे। परा। इहि। अभि। प्र। इहि। निः। दह। हृत्स्विति हृत्ऽसु। शोकैः। अन्धेन। अमित्राः। तमसा। सचन्ताम् ॥४४ ॥