yajurveda/17/14
ऋषिः - लोपामुद्रा ऋषिः
देवता - प्राणो देवता
छन्दः - आर्षी जगती
स्वरः - निषादः
ये। दे॒वाः। दे॒वेषु॑। अधि॑। दे॒व॒त्वमिति॑ देव॒ऽत्वम्। आय॑न्। ये। ब्रह्म॑णः। पु॒र॒ऽए॒तार॒ इति॑ पुरःऽए॒तारः॑। अ॒स्य। येभ्यः॑। न। ऋ॒ते। पव॑ते। धाम॑। किम्। च॒न। न। ते। दि॒वः। न। पृ॒थि॒व्याः। अधि॑। स्नुषु॑ ॥१४ ॥
ये। देवाः। देवेषु। अधि। देवत्वमिति देवऽत्वम्। आयन्। ये। ब्रह्मणः। पुरऽएतार इति पुरःऽएतारः। अस्य। येभ्यः। न। ऋते। पवते। धाम। किम्। चन। न। ते। दिवः। न। पृथिव्याः। अधि। स्नुषु ॥१४ ॥