yajurveda/16/45

नमः॒ शुष्क्या॑य च हरि॒त्याय च॒ नमः॑ पास॒व्याय च रज॒स्याय च॒ नमो॒ लोप्या॑य चोल॒प्याय च॒ नम॒ऽऊर्व्या॑य च॒ सूर्व्या॑य च॥४५॥

नमः॑। शुष्क्या॑य। च॒। ह॒रि॒त्या᳖य। च॒। नमः॑। पा॒ꣳस॒व्या᳖य। च॒। र॒ज॒स्या᳖य। च॒। नमः॑। लोप्या॑य। च॒। उ॒ल॒प्या᳖य। च॒। नमः॑। ऊर्व्या॑य। च॒। सूर्व्या॒येति॑ सु॒ऽऊर्व्या॑य। च॒ ॥४५ ॥

ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्वा देवा ऋषयः

देवता - रुद्रा देवताः

छन्दः - निचृदार्षी त्रिष्टुप्

स्वरः - धैवतः

स्वर सहित मन्त्र

नमः॒ शुष्क्या॑य च हरि॒त्याय च॒ नमः॑ पास॒व्याय च रज॒स्याय च॒ नमो॒ लोप्या॑य चोल॒प्याय च॒ नम॒ऽऊर्व्या॑य च॒ सूर्व्या॑य च॥४५॥

स्वर सहित पद पाठ

नमः॑। शुष्क्या॑य। च॒। ह॒रि॒त्या᳖य। च॒। नमः॑। पा॒ꣳस॒व्या᳖य। च॒। र॒ज॒स्या᳖य। च॒। नमः॑। लोप्या॑य। च॒। उ॒ल॒प्या᳖य। च॒। नमः॑। ऊर्व्या॑य। च॒। सूर्व्या॒येति॑ सु॒ऽऊर्व्या॑य। च॒ ॥४५ ॥


स्वर रहित मन्त्र

नमः शुष्क्याय च हरित्याय च नमः पासव्याय च रजस्याय च नमो लोप्याय चोलप्याय च नमऽऊर्व्याय च सूर्व्याय च॥४५॥


स्वर रहित पद पाठ

नमः। शुष्क्याय। च। हरित्या᳖य। च। नमः। पाꣳसव्या᳖य। च। रजस्या᳖य। च। नमः। लोप्याय। च। उलप्या᳖य। च। नमः। ऊर्व्याय। च। सूर्व्यायेति सुऽऊर्व्याय। च ॥४५ ॥