yajurveda/16/21
ऋषिः - कुत्स ऋषिः
देवता - रुद्रा देवताः
छन्दः - निचृदतिधृतिः
स्वरः - षड्जः
नमः॑। वञ्च॑ते। प॒रि॒वञ्च॑त॒ इति॑ परि॒ऽवञ्च॑ते। स्ता॒यू॒नाम्। पत॑ये। नमः॑। नमः॑। नि॒ष॒ङ्गिणे॑। इ॒षु॒धि॒मत॒ इती॑षुधि॒ऽमते॑। तस्क॑राणाम्। पत॑ये। नमः॑। नमः॑। सृ॒का॒यिभ्य॒ इति॑ सृका॒यिऽभ्यः॑। जिघा॑सद्भ्य॒ इति॒ जिघा॑सद्ऽभ्यः। मु॒ष्ण॒ताम्। पत॑ये। नमः॑। नमः॑। अ॒सि॒मद्भ्य॒ इत्य॑सि॒मत्ऽभ्यः॑। नक्त॑म्। चर॑द्भ्य॒ इति॒ चर॑त्ऽभ्यः। वि॒कृ॒न्ताना॒मिति॑ विऽकृ॒न्ताना॑म्। पत॑ये। नमः॑ ॥२१ ॥
नमः। वञ्चते। परिवञ्चत इति परिऽवञ्चते। स्तायूनाम्। पतये। नमः। नमः। निषङ्गिणे। इषुधिमत इतीषुधिऽमते। तस्कराणाम्। पतये। नमः। नमः। सृकायिभ्य इति सृकायिऽभ्यः। जिघासद्भ्य इति जिघासद्ऽभ्यः। मुष्णताम्। पतये। नमः। नमः। असिमद्भ्य इत्यसिमत्ऽभ्यः। नक्तम्। चरद्भ्य इति चरत्ऽभ्यः। विकृन्तानामिति विऽकृन्तानाम्। पतये। नमः ॥२१ ॥