yajurveda/14/4

पृ॒थि॒व्याः पुरी॑षम॒स्यप्सो॒ नाम॒ तां त्वा॒ विश्वे॑ऽअ॒भिगृ॑णन्तु दे॒वाः। स्तोम॑पृष्ठा घृ॒तव॑ती॒ह सी॑द प्र॒जाव॑द॒स्मे द्रवि॒णाय॑जस्वा॒श्विना॑ध्व॒र्यू सा॑दयतामि॒ह त्वा॑॥४॥

पृ॒थि॒व्याः। पुरी॑षम्। अ॒सि॒। अप्सः॑। नाम॑। ताम्। त्वा॒। विश्वे॑। अ॒भि। गृ॒ण॒न्तु॒। दे॒वाः। स्तोम॑पृ॒ष्ठेति॒ स्तोम॑ऽपृष्ठा। घृ॒तव॒तीति॑ घृ॒तऽव॑ती। इ॒ह। सी॒द॒। प्र॒जाव॒दिति॑ प्रजाऽव॑त्। अ॒स्मेऽइत्य॒स्मे। द्रवि॑णा। आ। य॒ज॒स्व॒। अ॒श्विना॑। अ॒ध्व॒र्यूऽ इत्य॑ध्व॒र्यू। सा॒द॒य॒ता॒म्। इ॒ह। त्वा॒ ॥४ ॥

ऋषिः - उशना ऋषिः

देवता - अश्विनौ देवते

छन्दः - भुरिग्ब्राह्मी बृहती

स्वरः - मध्यमः

स्वर सहित मन्त्र

पृ॒थि॒व्याः पुरी॑षम॒स्यप्सो॒ नाम॒ तां त्वा॒ विश्वे॑ऽअ॒भिगृ॑णन्तु दे॒वाः। स्तोम॑पृष्ठा घृ॒तव॑ती॒ह सी॑द प्र॒जाव॑द॒स्मे द्रवि॒णाय॑जस्वा॒श्विना॑ध्व॒र्यू सा॑दयतामि॒ह त्वा॑॥४॥

स्वर सहित पद पाठ

पृ॒थि॒व्याः। पुरी॑षम्। अ॒सि॒। अप्सः॑। नाम॑। ताम्। त्वा॒। विश्वे॑। अ॒भि। गृ॒ण॒न्तु॒। दे॒वाः। स्तोम॑पृ॒ष्ठेति॒ स्तोम॑ऽपृष्ठा। घृ॒तव॒तीति॑ घृ॒तऽव॑ती। इ॒ह। सी॒द॒। प्र॒जाव॒दिति॑ प्रजाऽव॑त्। अ॒स्मेऽइत्य॒स्मे। द्रवि॑णा। आ। य॒ज॒स्व॒। अ॒श्विना॑। अ॒ध्व॒र्यूऽ इत्य॑ध्व॒र्यू। सा॒द॒य॒ता॒म्। इ॒ह। त्वा॒ ॥४ ॥


स्वर रहित मन्त्र

पृथिव्याः पुरीषमस्यप्सो नाम तां त्वा विश्वेऽअभिगृणन्तु देवाः। स्तोमपृष्ठा घृतवतीह सीद प्रजावदस्मे द्रविणायजस्वाश्विनाध्वर्यू सादयतामिह त्वा॥४॥


स्वर रहित पद पाठ

पृथिव्याः। पुरीषम्। असि। अप्सः। नाम। ताम्। त्वा। विश्वे। अभि। गृणन्तु। देवाः। स्तोमपृष्ठेति स्तोमऽपृष्ठा। घृतवतीति घृतऽवती। इह। सीद। प्रजावदिति प्रजाऽवत्। अस्मेऽइत्यस्मे। द्रविणा। आ। यजस्व। अश्विना। अध्वर्यूऽ इत्यध्वर्यू। सादयताम्। इह। त्वा ॥४ ॥