yajurveda/13/52

त्वं य॑विष्ठ दा॒शुषो॒ नॄः पा॑हि शृणु॒धी गिरः॑। रक्षा॑ तो॒कमु॒त त्मना॑॥५२॥

त्वम्। य॒वि॒ष्ठ॒। दा॒शुषः॑। नॄन्। पा॒हि॒। शृ॒णु॒धि। गिरः॑। रक्ष॑। तो॒कम्। उ॒त। त्मना॑ ॥५२ ॥

ऋषिः - उशना ऋषिः

देवता - अग्निर्देवता

छन्दः - निचृद्गायत्री

स्वरः - षड्जः

स्वर सहित मन्त्र

त्वं य॑विष्ठ दा॒शुषो॒ नॄः पा॑हि शृणु॒धी गिरः॑। रक्षा॑ तो॒कमु॒त त्मना॑॥५२॥

स्वर सहित पद पाठ

त्वम्। य॒वि॒ष्ठ॒। दा॒शुषः॑। नॄन्। पा॒हि॒। शृ॒णु॒धि। गिरः॑। रक्ष॑। तो॒कम्। उ॒त। त्मना॑ ॥५२ ॥


स्वर रहित मन्त्र

त्वं यविष्ठ दाशुषो नॄः पाहि शृणुधी गिरः। रक्षा तोकमुत त्मना॥५२॥


स्वर रहित पद पाठ

त्वम्। यविष्ठ। दाशुषः। नॄन्। पाहि। शृणुधि। गिरः। रक्ष। तोकम्। उत। त्मना ॥५२ ॥