yajurveda/13/49
ऋषिः - विरूप ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - कृतिः
स्वरः - निषादः
इ॒मम्। सा॒ह॒स्रम्। श॒तधा॑र॒मिति॑ श॒तऽधा॑रम्। उत्स॑म्। व्य॒च्यमा॑न॒मिति॑ विऽअ॒च्यमा॑नम्। स॒रि॒रस्य॑। मध्ये॑। घृ॒तम्। दुहा॑नाम्। अ॒दि॑तिम्। जना॑य। अग्ने॑। मा। हि॒ꣳसीः॒। प॒र॒मे। व्यो॑म॒न्निति॒ विऽओ॑मन्। ग॒व॒यम्। आ॒र॒ण्यम्। अनु॑। ते॒। दि॒शा॒मि॒। तेन॑। चि॒न्वा॒नः। त॒न्वः᳖। नि। सी॒द॒। ग॒व॒यम्। ते॒। शुक्। ऋ॒च्छ॒तु॒। यम्। द्वि॒ष्मः। तम्। ते॒। शुक्। ऋ॒च्छ॒तु॒ ॥४९ ॥
इमम्। साहस्रम्। शतधारमिति शतऽधारम्। उत्सम्। व्यच्यमानमिति विऽअच्यमानम्। सरिरस्य। मध्ये। घृतम्। दुहानाम्। अदितिम्। जनाय। अग्ने। मा। हिꣳसीः। परमे। व्योमन्निति विऽओमन्। गवयम्। आरण्यम्। अनु। ते। दिशामि। तेन। चिन्वानः। तन्वः᳖। नि। सीद। गवयम्। ते। शुक्। ऋच्छतु। यम्। द्विष्मः। तम्। ते। शुक्। ऋच्छतु ॥४९ ॥