yajurveda/12/23

विश्व॑स्य के॒तुर्भुव॑नस्य॒ गर्भ॒ऽआ रोद॑सीऽअपृणा॒ज्जाय॑मानः। वी॒डुं चि॒दद्रि॑मभिनत् परा॒यञ्जना॒ यद॒ग्निमय॑जन्त॒ पञ्च॑॥२३॥

विश्व॑स्य। के॒तुः। भुव॑नस्य। गर्भः॑। आ। रोद॑सीऽइति॒ रोद॑सी। अ॒पृ॒णा॒त्। जाय॑मानः। वी॒डुम्। चि॒त्। अद्रि॑म्। अ॒भि॒न॒त्। प॒रा॒यन्निति॑ परा॒ऽयन्। जनाः॑। यत्। अ॒ग्निम्। अय॑जन्त। पञ्च॑ ॥२३ ॥

ऋषिः - वत्सप्रीर्ऋषिः

देवता - अग्निर्देवता

छन्दः - निचृदार्षी त्रिष्टुप्

स्वरः - धैवतः

स्वर सहित मन्त्र

विश्व॑स्य के॒तुर्भुव॑नस्य॒ गर्भ॒ऽआ रोद॑सीऽअपृणा॒ज्जाय॑मानः। वी॒डुं चि॒दद्रि॑मभिनत् परा॒यञ्जना॒ यद॒ग्निमय॑जन्त॒ पञ्च॑॥२३॥

स्वर सहित पद पाठ

विश्व॑स्य। के॒तुः। भुव॑नस्य। गर्भः॑। आ। रोद॑सीऽइति॒ रोद॑सी। अ॒पृ॒णा॒त्। जाय॑मानः। वी॒डुम्। चि॒त्। अद्रि॑म्। अ॒भि॒न॒त्। प॒रा॒यन्निति॑ परा॒ऽयन्। जनाः॑। यत्। अ॒ग्निम्। अय॑जन्त। पञ्च॑ ॥२३ ॥


स्वर रहित मन्त्र

विश्वस्य केतुर्भुवनस्य गर्भऽआ रोदसीऽअपृणाज्जायमानः। वीडुं चिदद्रिमभिनत् परायञ्जना यदग्निमयजन्त पञ्च॥२३॥


स्वर रहित पद पाठ

विश्वस्य। केतुः। भुवनस्य। गर्भः। आ। रोदसीऽइति रोदसी। अपृणात्। जायमानः। वीडुम्। चित्। अद्रिम्। अभिनत्। परायन्निति पराऽयन्। जनाः। यत्। अग्निम्। अयजन्त। पञ्च ॥२३ ॥